फोटो: राजेश उत्साही |
तुम्हारी याद
जैसे,
बिजली का गुल हो जाना
आना एक पल को
और फिर गुल हो जाना
आभास होते रहना रोशनी का देर तक।
*
तुम्हारी याद
जैसे,
शांत चलती हुई
रेलगाड़ी के इंजन का
एकाएक चीख पड़ना
और आवाज का गूंजते रहना देर तक ।
*
तुम्हारी याद
अमरबेल-सी
छा जाती है
और चूसते रहती है
धीरे-धीरे।
*
तुम्हारी याद
एक आलपिन-सी
जिसके बिना
जिंदगी के पन्ने
बिखर जाते हैं यहां-वहां।
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